Rabindranath Tagore in Hindi । रविन्द्रनाथ टैगोर : Friend’s आज का हमारा Topic है, Rabindranath Tagore या फिर कहे तो Biography of Rabindranath Tagore in Hindi.
आज के इस लेख के माध्यम से मैं आप सभी को रविन्द्रनाथ टैगोर के बारे (About Rabindranath Tagore in Hindi) में संपूर्ण जानकारी देने का प्रयास करूंगी।
तो चलिए चलते है, अपनी Topic की ओर; और जानते है: रविन्द्रनाथ टैगोर के बारे (Information on Rabindranath Tagore in Hindi) में कुछ खास बातें।
Contents
- 1 Rabindranath Tagore in Hindi । रविन्द्रनाथ टैगोर
- 2 Early Life of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर का प्रारंभिक जीवन
- 2.1 Education of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा-दीक्षा
- 2.2 Married Life of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर का वैवाहिक जीवन
- 2.3 Social Life of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर का सामाजिक जीवन
- 2.4 Achievements of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर की उपलब्धियां
- 2.5 Death of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर की मृत्यु
Rabindranath Tagore in Hindi । रविन्द्रनाथ टैगोर
रविन्द्रनाथ टैगोर उन भारतीयों में एक है। जिसे युग-युगांतर तक भुलाया नहीं जा सकता। यह उन भारतीय महापुरुषों (Great Man) में एक हैं, जिन्हें आज भी दुनिया याद करती है।
इतना ही नही हमारी भारतीय संस्कृति को पहचान दिलाने वाली महान आत्माओं में एक रविन्द्रनाथ टैगोर भी है। सीधे तौर पर अगर कहूँ तो रविन्द्रनाथ टैगोर जैसे व्यक्ति को शब्दों में बयाँ करना बहुत ही कठिन है।
Rabindranath Tagore जैसी महान आत्माएँ बार-बार धरती पर जन्म नहीं लेती। वे किसी खास समय और खास स्थान पर ही अवतरित होते हैं और हम मानव को काफी सारी सीख दे जाते हैं।
जिससे हम मानव युग-युगांतर तक प्रेरित होते रहते हैं। इतना ही नहीं वह हमारे लिए सदियों के लिए मिसाल बन जाते हैं। उन्ही आत्माओं में से एक थे- रविंद्रनाथ टैगोर।
जिन्होंने हमारी भारतीय धरती पर जन्म लेकर इसे सदियों के लिए महान बना दिया। अतः हम कह सकते हैं, कि ऐसी आत्माएं जहां भी जन्म लेती है। वास्तव में वह स्थान धन्य होता है।
शायद यही कारण है, कि आज भी हमारी भारतीय धरती दुनिया भर में श्रेष्ठतम मानी जाती है। रविन्द्रनाथ टैगोर जैसी महान आत्माओं नहीं तो इस भारतीय धरती को महान बनाया है।
Early Life of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर का प्रारंभिक जीवन
बात सन् 1861 ई० की है, जब भारत के कोलकाता नगरी के सुप्रसिद्ध जोर सांको भवन में एक महान आत्मा का जन्म होता है। जिसे हम सभी “रविन्द्रनाथ ठाकुर” के नाम से जानते हैं।
जो न सिर्फ हम भारतीयों के लिए बल्कि दुनिया के कई प्रांतों के लिए एक महापुरुष के रूप में उभर कर सामने आए।
शायद यही वजह है, कि अतीत से लेकर आज के वर्तमान युग तक भी दुनिया के कई लोग उन्हे अपना मार्गदर्शक मानते हैं।
टैगोर परिवार से ताल्लुकात रखने वाले रविन्द्रनाथ टैगोर के पिता (Father of Rabindranath Tagore) “देवेंद्रनाथ टैगोर” ब्रह्म समाज के वरिष्ठतम् नेता हुआ करते थे।
इतना ही नहीं अगर टैगोर परिवार की बात की जाए तो Tagore परिवार कोलकाता के जोड़ासाँको की ठाकुरबाड़ी में प्रसिद्ध एवं समृद्ध बंगाली परिवार में से एक था।
जब हम रविंद्रनाथ टैगोर के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर की सामान्य प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हैं, तो हमें पता चलता है, कि वे एक बहुत ही सहज और सामाजिक जीवन जीने वाले व्यक्ति थे।
इतना ही नहीं देवेंद्रनाथ ठाकुर की पत्नी या फिर कहूं तो रविन्द्रनाथ टैगोर की मां (Mother of Rabindranath Tagore) “शारदा देवी” एक बहुत ही शांत व सहज प्रवृत्ति की महिला थी।
Rabindranath Tagore पिता देवेन्द्रनाथ ठाकुर एवं मां शारदा देवी की 13वें सबसे छोटे संतान थे। चूँकि काफी छोटी उम्र में ही इनकी मां का निधन हो जाने के कारण Rabindranath Tagore का पालन-पोषण(nourish) पिता और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा ही हुआ।
अपने बचपन के दिनों में रवि नाम से पुकारा जाना वाला रविन्द्रनाथ टैगोर आगे चलकर गुरुदेव के नाम से भी विख्यात हुए। अगर उनके घरेलू माहौल की बात की जाए तो, चूँकि उनका परिवार नवजागरण के अग्र-स्थान पर था।
स्वाभाविक सी बात है, कि वहां थिएटर, पश्चमी और बंगाली संगीत का कार्यक्रम और पत्रिकाओं का प्रकाशन होती ही रहती थी। इस नजर से देखा जाए तो उनका घरेलू माहौल भी काफी अच्छा था।
सीधे तौर पर कहूँ तो इससे उन्हें अर्थात रविन्द्रनाथ टैगोर एवं उनके परिवार के अन्य सदस्यों को भी एक ही स्थान पर कई सारी ज्ञान हासिल करने का सुनहरा मौका मिला हुआ था।
रविन्द्रनाथ टैगोर के सबसे बड़े भाई द्विजेन्द्रनाथ टैगोर एक अच्छे कवि एवं दार्शनिक (Philosopher) थे। साथ ही इनके दूसरे भाई जिनका नाम सत्येंद्रनाथ टैगोर था। भारतीय सिविल सेवा में शामिल होने वाले प्रथम भारतीय थे।
उनके एक अन्य भाई ज्योतिन्द्रनाथ टैगोर एक सुप्रसिद्ध नाटककार एवं संगीतकार थे। इसके अलावा उनकी बहन जिन्हे स्वर्नकुमारी देवी के नाम से जानते हैं।
एक उपन्यासकार (Novelist) होने के साथ-साथ एक कवियत्री भी थी। इस प्रकार सामान्य तौर पर कहा जाए तो उनके परिवार के लगभग सभी सदस्य होनहार थे।
Education of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा-दीक्षा
अगर हम रविन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा-दीक्षा अर्थात पढ़ाई-लिखाई के बारे में जानने का प्रयास करते हैं। तो हमें पता चलता है, कि इनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा कोलकाता के ही एक प्रसिद्ध विद्यालय संत जेवियर में हुई है।
इनके पिता एक सामाजिक जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे समाज के लिए ही समर्पित थे। शायद यही कारण है, कि वे अपने होनहार संतानों में एक Rabindranath Tagore को बैरिस्टर बनाना चाहते थे।
ताकि वे समाज के लिए कुछ अच्छा कर सके फिर क्या था? उन्होंने अर्थात रविन्द्रनाथ टैगोर के पिता ने सन् 1878 ई० में लंदन विश्वविद्यालय (London University) में उनका दाखिला करा दिया और उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने हेतु लंदन भेज दिया।
परंतु रविन्द्रनाथ टैगोर की रूचि बैरिस्टर के पढ़ाई के बजाए साहित्य (Literature)में थी। यही कारण है, कि सन् 1880 ई० में वे बैरिस्टर के डिग्री लिए बिना ही वापस भारत आ गए।
सबसे खास बात तो यह है कि, उन्होंने भले ही लॉ की पढ़ाई छोड़ दी परंतु शेक्सपियर (Shakespeare) जैसे कई अन्य साहित्यकारों की रचनाओं का अध्ययन बड़े ही अच्छी तरीके से करते रहे।
अपनी साहित्यिक रूचि को उन्होंने कभी नजरअंदाज (Ignore) नहीं किया। इसका ही परिणाम हुआ कि उसने अपनी साहित्यिक रचनाओं में बंगाली ही नहीं बल्कि यूरोपिय परंपराओं को भी लुभाया।
Married Life of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर का वैवाहिक जीवन
सन् 1880 ई० में लंदन से लौटने के कुछ ही समय बाद अर्थात सन् 1883 ई० में Rabindranath Tagore का विवाह मृणालिनी देवी से हुआ। जिस समय उनकी उम्र करीब 10 वर्ष थी।
पाँच बच्चों के माता-पिता मृणालिनी देवी और रविंद्रनाथ टैगोर का वैवाहिक जीवन भी काफी अच्छी थी। रविन्द्रनाथ टैगोर ने सन् 1901 ई० तक का अधिकतम समय सिआल्द स्थित अपने परिवार की जागीर में बिताया।
सन् 1902 ई० में 25 वर्ष की आयु में उनकी पत्नी (Wife of Rabindranath Tagore) का देहांत हो गया। इतना ही नहीं उनके जीवन का सबसे दुखद दौड़ तो तब था।
जब उनके दो संतान रेणुका का सन् 1903 में और समन्द्रनाथ का सन् 1907 ई० में निधन हो गया।
Social Life of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर का सामाजिक जीवन
बहुमुखी प्रतिभाओं से भरे रविन्द्रनाथ टैगोर न सिर्फ एक अच्छे कवि बल्कि अपने पिता की तरह वह भी एक अच्छे समाज सेवक (Social Worker) थे।
अपने परिवार के सदस्यों के साथ अक्सर वे जागीर पर घूमा करते थे। इतना ही नहीं अपने उपनयन के बाद रविन्द्रनाथ टैगोर अपने पिता देवेंद्रनाथ ठाकुर के साथ एक लंबी अवधि के भारत भ्रमण पर निकल पड़े।
इस दौड़ान उन्होंने अपनी पारिवारिक जागीर शांतिनिकेतन और अमृतसर के साथ-साथ डलहौजी जो हिमालय स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन-स्थल (Tourist Spot) है, वहां का भी भ्रमण किया।
डलहौजी में रहकर उन्होंने आधुनिक विज्ञान, संस्कृत, इतिहास, खगोल विज्ञान (Astronomy), जीवनी के अध्ययन के अलावा कालिदास जैसे कवि के कविताओं की भी विवेचना किए।
इतना ही नहीं अपने यात्रा के दौड़ान उन्होंने ग्रामीण एवं गरीब लोगों के जीवन को काफी करीब से देखा। तत्पश्चात् उन्होंने शांतिनिकेतन नामक एक विद्यालय, पुस्तकालय एवं पूजा स्थल का निर्माण कराया।
साथ ही उनके अथक प्रयास के पश्चात शांतिनिकेतन को एक विश्वविद्यालय का दर्जा मिल पाया। रविन्द्रनाथ टैगोर के नेतृत्व में 16 अक्टूबर1905 ई० को कोलकाता में मनाया गया रक्षाबंधन उत्सव से बंग-भंग आंदोलन का आरंभ हुआ।
स्वदेशी आंदोलन के सूत्र-पात का श्रेय भी बंग-भंग आंदोलन को ही है। 13 अप्रैल 1919 ई० की जालियांवाला बाग हत्याकांड का भी उन्होंने काफी विरोध किया। इसी विरोध में उसने नाइट-हुड की उपाधि भी लौटा थी। जो उन्हें ब्रिटिश शासन द्वारा प्रदान की गई थी।
खास बात तो यह है कि, उन्हें पारंपरिक शिक्षा पद्धति (Traditional Education System) बिल्कुल भी पसंद नहीं आती थी। शायद यही कारण है, कि उन्हें कक्षा में बैठकर पढ़ना अच्छा नहीं लगता था।
Achievements of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर की उपलब्धियां
अपने बचपन के दिनों से ही कुशाग्र बुद्धि (Intelligent Mind) वाले रविन्द्रनाथ टैगोर, जो बड़े होकर गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने न सिर्फ देश बल्कि विदेशी साहित्य, संस्कृति, दर्शन आदि को अपने में समाहित कर लिया था।
अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण ही तो वे न सिर्फ एक मानवतावादी विचारक कहलाए। बल्कि कला, साहित्य, संगीत एवं शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी उनकी प्रतिभा उभर कर सामने आई। तो आइए आज जानते है, उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियों के बारे में:
- Rabindranath Tagore, नोबेल पुरस्कार पाने वाले न सिर्फ प्रथम भारतीय बल्कि प्रथम एशियाई व्यक्ति भी थे।
- ब्रिटिश प्रशासन(British Administration)द्वारा सन् 1915 ई० में उन्हें नाइट-हुड की उपाधि प्राप्त हुई।
- दो देशों के लिए राष्ट्रगान बनाने वाले प्रथम भारतीय रविन्द्रनाथ टैगोर ही थे।
- उन्होंने करीब 2230 गीत लिखे जिन्हें रविन्द्र संगीत कहा जाता है।
- उन्होंने भारत और बांग्लादेश के लिए राष्ट्र गीत लिखे।
- रविन्द्रनाथ टैगोर ने ही विश्व-भारती की स्थापना की।
- वे पहले भारतीय कवि थे, जिन्होंने 8 वर्ष की आयु में पहली कविता लिखी थी।
- उनकी प्रमुख रचनाओं में गीतांजलि शामिल है।
- Rabindranath Tagore अपनी संपूर्ण जीवन-काल में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन से तीन बार मिलने वाले प्रथम भारतीय कवि थे।
- वे एक बांग्ला कवि, गीतकार, कहानीकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे।
Death of Rabindranath Tagore । रविन्द्रनाथ टैगोर की मृत्यु
जिसका जन्म हुआ है, उसका मृत्यु भी होना तय है। ये तो हम सभी जानते है। दूसरे शब्दो में कहूँ तो जन्म और मरण सांसारिक सत्य है। तो भला Rabindranath Tagore इसका अपवाद कैसे हो सकते हैं।
वे अपने जीवन के अंतिम क्षण में शारीरिक रूप से काफी कमजोर पर गए थे। एक समय 7 अगस्त 1941 आया। जिस दिन 80 वर्ष की आयु में कोलकाता की धरती पर उनका निधन हो गया।
निश्चित रूप से यह भारतीय साहित्य के लिए अभूतपूर्व क्षति थी। परंतु वे उन व्यक्तियों में थे, जो मर कर भी अमर बन गए।